होली का पावन पर्व आ गया और फिर एक बार इसे इस वर्ष मनाकर हम अगले दिन से अपने अपने काम मे लग जाएंगे। कभी सोचा आपने कि हमारा हर पर्व, हर त्यौहार कुछ न कुछ संदेश देता है, उसका कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। इसी प्रकार होली का पर्व भी अपना एक संदेश लेकर आता है, अब यह अलग बात है कि हम इसे किस रूप में मनाते हैं ?
आज हम अत्यधिक भौतिकतावादी हो गए हैं। हर जगह हमें सिर्फ दिखावा करने की प्रवृत्ति हो गयी है। रंग, अबीर-गुलाल, गुझिया….हर चीज़ को हम सिर्फ अपने स्टेटस से जोड़कर देखने लगे हैं, शायद मेरी बात चुभन दे पर है यह यथार्थ ही, एक बार मन में सोचकर देखिए।
होली पर्व का उद्देश्य –
होली का त्योहार तो कहलाता ही रंगों का त्यौहार है, इसमें रंगों का बहुत महत्व है। रंग हमारे ऊपर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं। जैसे लाल रंग उत्साह एवं ऊर्जा का प्रतीक है तो पीला रंग प्रसन्नता का, इसी प्रकार हरा रंग जीवन मे सकारात्मक सोच और कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। लेकिन कई बार रंग खेलते हुए हम दूसरों की भावनाओं को आहत कर जाते हैं। इस नज़रिए से शायद सोच ही नही पाते।
मनोवैज्ञानिक पहलू –
इसी प्रकार इस पावन पर्व पर मिठाईयां बनती और एक दूसरे को खिलाई जाती हैं, इसका भी मनोवैज्ञानिक पहलू यह होता है कि हम एक दूसरे से सौहार्द बनाकर प्रेम पूर्वक रहें। जब साथ मिलेंगे, बैठेंगे तो एक दूसरे से प्रेम सद्भाव बढ़ेगा ही। मुझे अपना बचपन याद आता है कि जब टोलियां बनाकर लोग एक दूसरे के घर होली खेलने और फिर मिलने जाते थे। बच्चों की अलग टोली, महिलाओं की अलग और पुरुषों की भी अलग। इस प्रकार साथ बैठकर इतना हंसी मजाक और ठहाके होते थे कि उनकी गूंज आज तक मेरे कानों में है।
बीते दिनों की याद दिलाती होली –
यह कहावत प्रचलित थी कि “बुरा न मानो होली है” और इसी को निभाया भी जाता था, कोई भी हंसी मजाक में करी गई बातों का बिल्कुल बुरा नहीं मानता था और इस तरह कई टूटे रिश्ते और संबंध आपस मे फिर से जुड़ जाते थे। खूब मज़ाक और स्वांग रचे जाते थे। कह सकती हूं कि पूरे वर्ष भर के लिए एक नई स्फूर्ति, एक नए जोश का संचार हो जाता था और नए सिरे से उमंग, उत्साह के साथ ज़िंदगी शुरू हो जाती थी। सोचकर देखिए, आपको भी यह सब कुछ याद आएगा, लेकिन सच कह रही हूं न मैं, यह सब जैसे विलुप्त हो गया है न ?
पुनः यही कहना चाहूंगी कि इस पर्व की क्या उपयोगिता है, इसको मनाने का क्या उद्देश्य है, हम इस बात को समझें और फिर दिल से इस त्यौहार को मनाएं। होलिका दहन के साथ ही हर बुराई, हर कुंठा, निराशा, अहंकार, क्रोध…..सभी का दहन करने का प्रयास करें।
आज के इस उल्लासपूर्ण होली के पर्व पर कमल किशोर राजपूत जी ने हमें अपनी सुंदर सी, इंद्रधनुषी सतरंगी रंगों से सजी, रचनाएं भेजी हैं, जिन्हें आप सबके लिए प्रस्तुत करते हुए अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है।
– कमल किशोर राजपूत ‘कमल’
शाश्वत भारत भूमि पर होली का विशेष स्थान रहा है। वृंदावन में कृष्ण और गोपियों की रंगारंग होली, आज भी सबके ह्रदय को भिगोती है। रंगबिरंगी स्वरों की गूँज आज भी गुंजित होती है। इस पावन पुनीत उत्सव पर आप सबका हार्दिक अभिनन्दन।
🌈🪷💓इन्द्रधनुषी सतरंगी होली 💓🪷🌈
काश! कि ऐसा हो जाए, जीवन रंगी हो जाए,
प्यार के रंगों में भीगे, अन्तर सतरंगी हो जाए ..
सन्देश हृदय में सब के, होली के ऐसे गूँजे,
सतरंगी रंग अमर-प्रेम, आकर सबको चूमें,
नाचें, गाएँ, झूम मचाएँ, साँसें अंगूरी हो जाएं….
प्यार के रंगों में भीगे, अन्तर सतरंगी हो जाए ….
होली के रंग सुहाने, प्यारे कितने लगते हैं,
इन्द्रधनुषी करिश्मो के, सज्दे न्यारे लगते हैं,
जो भी खेले होली में, वो सब अतरंगी हो जाए..
प्यार के रंगों में भीगे, अन्तर सतरंगी हो जाए ..
साँसों में दीवानो की, ग़जब नशा पिलाया है,
ठंड़ाई में यारों ने, दिल अपना ख़ूब मिलाया है,
होली की मस्ती पीकर, सब मन-संगी हो जाए.
प्यार के रंगों में भीगे, अन्तर सतरंगी हो जाए ….
🌈💓रंगों का अद्भुत त्योहार💓🌈
रंगों के त्योहार में, ह्रदय रंग, जन-जन में घुल जाए, अलग नहीं हम, द्वेष-भरम सब होलिका में जल जाए ….
इंद्रधनुष की छवि निराली, एक प्रेम रंग से उपजी है, गुलदस्ते के पुष्पों की भांति, हम सब भी मिल जाएं…. गोपी, राधा-कृष्ण की होली, ब्रज की गलियों में गूँजी, वृन्दावन की अद्भुत वो लीला, अंतर्मन में खिल जाए ….
🌈🪷💓इन्द्रधनुषी शाश्वत होली 💓🪷🌈
इंद्रधनुषी सपनों से भीगी, सतरंगी अंतरमन की हरियाली होली,
रंगों छंदों ने बरसाई, गोकुल-कृष्णा के गीतों की न्यारी होली।
बसंती हो जीवन शैली, निर्मल हो राग द्वेष, रंगों की हमजोली,
केशरिया रंग में खिल जाए, अद्वैत, गुलाली शाश्वत होली।
माँ बहनों का पावन आँचल, पुलकित सुरभित हो मन का आँगन,
पुष्पांजलि मम उर पुष्पों की, नवरस गुंजित हो ऐसी स्वरांजलि होली।

रंगारंग होली एक अद्भुत त्योहार है जो लोगों के दिलों को जोड़ता है एक भारत ही है जो अलग-अलग प्रदेशों के त्योहारों द्वारा एक दूसरे को अपनत्व के गुलदस्ते में गूथता है जिसकी खुशबू सबको भाती है 💐🪷💐🌈👏